एक चिकित्सक के भरोसे बहरी अस्पताल,बिना स्टाफ और संसाधनों के कैसे चल रहा इलाज?
सीधी- सीधी और स्वास्थ्य सुविधाएं एक दूसरे से दूर-दूर चलते हैं। कहने को तो जिले में चारों ओर विकास की गंगा बह रही है लेकिन जहां बात स्वास्थ्य सुविधाओं की आती है तो चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा दिखता है। चाहे जिले का कोई अस्पताल हो या कोई छोटा स्वास्थ्य केंद्र, हर जगह कमियां और अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं। जिला मुख्यालय से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो सब जगह यही हाल है। ना पर्याप्त स्टाफ है न हीं अन्य सुविधाएं केवल सरकार की बनाई इमारतें और लंबे चौड़े बोर्ड है लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है यह वहां के निवासी ही बता सकते हैं।
जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिहावल अंतर्गत संचालित 10 बिस्तर वाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बहरी कर्मचारियों और सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। यहां केवल प्रसूति महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है और केवल इसीलिए अस्पताल की इतनी बड़ी बिल्डिंग बनाई गई है। अन्य सुविधाओं की बात करें तो यहां मलहम पट्टी करने वाला तक कोई नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बाहरी में केवल एक डॉक्टर पदस्थ है, जिनके जिममें आसपास के कई गांवों के लोगों का स्वास्थ्य है इनके सहयोग के लिए एक एएनएम, तीन स्टाफ नर्स है और एक लैब टेक्नीशियन है। लेकिन यहां पर ना तो ड्रेसर है ना ही कंपाउंड है। कहने को तो यहां 131 तरह की दवाई होनी चाहिए लेकिन मिलती कितनी है यह वहां के लोग ही बता सकते हैं। यहां की अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि आसपास कहीं अगर कोई दुर्घटना या एक्सीडेंट हो जाए तो उन्हें प्राथमिक उपचार देने वाला तक यहां कोई नहीं है। आनन-फानन में घायल मरीजों को जिला चिकित्सालय की ओर भेजा जाता है कई बार मरीज वहां पहुंचते हैं और कई बार आधे रास्ते में ही अव्यवस्थाओं के चलते दम तोड़ देते हैं। महज एक चिकित्सक के भरोसे बाहरी क्षेत्र की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं संचालित है। ऐसे में कई बार मरीजों को समुचित स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ना मिलने के कारण उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में भी जाना पड़ता है। शायद यही कारण है कि इस क्षेत्र में झोलाछा पी डॉक्टरों की भरमार है और हद तक इनके द्वारा अस्पताल का बोझ कम किया जाता है तभी तो झोलाछापों पर कोई कार्यवाही भी नहीं होती।
जिले में दम तोड़ती स्वास्थ्य सुविधाएं
शासन स्तर से चलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं जिले और जिले के कोने-कोने में पहुंचते पहुंचते अपना दम तोड़ देती है लाचार प्रबंधन और लापरवाह प्रशासन के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल पड़ी हुई है। जिले के जिम्मेदार आला अधिकारी इन स्वास्थ्य केन्द्रों की ओर कभी ध्यान ही नहीं देते मुख्यालय में अपनी कुर्सी पर जमे हुए उसी की निगरानी में लगे रहते हैं और मैदानी अमला अपने कार्य में व्यस्त रहता है आए दिन लोगों की शिकायतें और समस्याएं विभिन्न माध्यमों से उभर कर सामने आती हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग के ज्यादातर अधिकारी कर्मचारी कुंभकरण निद्रा में लीन है और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए प्राइवेट अस्पतालों एवं बाहर के जिलों की ओर रुख करना पड़ता है
स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ चिकित्सक अमित वर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र में एक और चिकित्सक की आवश्यकता है। क्षेत्र बड़ा है जिसके कारण यहां मरीजों की संख्या भी ज्यादा रहती है। यहां ना तो ड्रेसर है ना ही कंपाउंड एक एएनएम 3 स्टाफ नर्स और एक लैब टेक्नीशियन के सहारे यहां लोगों का इलाज किया जा रहा है। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जो स्टाफ और सुविधा होनी चाहिए। उनका कुछ हद तक यहां अभाव है जिसे लेकर कई बार जिले से लेकर ऊपर तक पत्राचार किए गए हैं लेकिन अभी तक समाधान हासिल नहीं हो सका। उपलब्ध संसाधनों के साथ बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने का प्रयास हमारे द्वारा किया जा रहा है।








