MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बिजली विभाग पर ठोका एक लाख का जुर्माना
जबलपुर- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एसीआर प्रस्तुत न किए जाने के कारण जूनियर को पहले प्रमोशन मिलने व आवेदक को विलंब से पदोन्नति मिलने व वरिष्ठता प्रभावित होने के मामले को आड़े हाथों लिया।जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में कहा कि विभाग की गलती से याचिकाकर्ता को देर से प्रमोशन मिला, जबकि उसकी कोई गलती नहीं थी। एकलपीठ ने विभाग पर एक लाख का जुर्माना लगाते हुए उक्त राशि याचिकाकर्ता को वाद व्यय के रूप में प्रदान करने के आदेश दिए।
यह मामला याचिकाकर्ता संतोष कुमार श्रीवास्तव की ओर से दायर किया गया है। जिसमें कहा गया है कि उसकी नियुक्ति सितम्बर 1977 में विद्युत विभाग में टेस्टिंग असिस्टेंट ग्रेड 2 में पद पर हुई थी। इसके बाद उसे टेस्टिंग अस्सिटेंट ग्रेड-1 के पद पर प्रमोशन मिला था। जिसके बाद उसकी पदस्थापना ट्रांसमिशन कंपनी में कर दी गयी थी।
प्रमोशन के लिए अक्टूबर 2010 में विभागीय डीपीसी आयोजित की गयी थी। जिसमें आवेदक की वरिष्ठता क्रम सात था परंतु एसीआर रिपोर्ट नहीं होने के कारण वरिष्ठता क्रम में 21 तथा 40 वां स्थान रखने वालों को प्रमोशन प्रदान किया गया। एसीआर प्रस्तुत करने के बाद उसे नवम्बर 2010 को प्रमोशन प्रदान किया गया। जिसके कारण उससे जूनियर उससे वरिष्ठ हो गये।
इस संबंध में उसने विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था। विभाग द्वारा न्याय उचित कारण बताये बिना ही उसके अभ्यावेदन को खारिज कर दिया गया। जिस पर यह याचिका दायर की गई।
सुनवाई पश्चात् मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एसीआर प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी विभाग की थी। विभाग की गलती से याचिकाकर्ता को देर से प्रमोशन मिला था, जबकि उसकी कोई गलती नहीं थी। जिसके बाद न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए।








