खरगोन: 116 वर्षीय संत सियाराम बाबा का देहावसान, आज सायंकाल समाधि
खरगोन जिले के प्रसिद्ध संत सियाराम बाबा का आज सुबह मोक्षदा एकादशी के पावन अवसर पर देवलोक गमन हो गया। 116 वर्ष की आयु में बाबा जी ने अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बाबा का सम्पूर्ण जीवन भगवान श्रीराम के चरणों में समर्पित रहा। उनकी तपस्या, साधना और धर्म के प्रति निष्ठा सदैव समाज के लिए प्रेरणास्रोत रही है।
जीवन परिचय और साधना
संत सियाराम बाबा ने अपना पूरा जीवन धर्म, भक्ति और समाजसेवा में अर्पित किया। खरगोन जिले के ग्राम तेली भट्ट्यांन में माँ नर्मदा के पावन तट पर बाबा जी ने वर्षों तक अखंड तपस्या की। वे निरंतर रामायण का पाठ करते थे और अपने प्रवचनों के माध्यम से समाज को सत्य, अहिंसा और सदाचार का मार्ग दिखाते रहे। बाबा जी के आशीर्वाद से हजारों लोगों ने अपने जीवन में आध्यात्मिक मार्ग को अपनाया।
समाज को दिए प्रेरणादायक संदेश
संत सियाराम बाबा जी ने अपने उपदेशों में धर्म और समाज की सेवा को सर्वोपरि बताया। वे कहते थे कि मनुष्य को अपने जीवन का उद्देश्य प्रभु के चरणों में समर्पित करते हुए समाज की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए। उनकी साधना और भक्ति ने न केवल स्थानीय समुदाय बल्कि देशभर में उनके भक्तों को प्रभावित किया।
मोक्षदा एकादशी पर देह त्याग
मोक्षदा एकादशी जैसे पावन पर्व पर बाबा जी का निधन विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देह त्यागने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। भक्तजन बाबा जी के अंतिम दर्शन के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं।
समाधि और अंतिम यात्रा का कार्यक्रम
बाबा सियाराम जी का अंतिम डोला आज सायंकाल निकलेगा। उनकी समाधि खरगोन जिले के कसरावद के पास माँ नर्मदा के तट पर दी जाएगी। यही स्थान उनकी तपस्या का केंद्र रहा था। समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों के पहुंचने की संभावना है।
बाबा जी की विरासत
सियाराम बाबा जी का जीवन धर्म और भक्ति का आदर्श उदाहरण है। उनका अनुशासन, तप और प्रभु के प्रति समर्पण सदैव उनके अनुयायियों और समाज को प्रेरित करता रहेगा। उनके जाने से न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि आध्यात्मिक जगत में भी एक अपूरणीय क्षति हुई है।
“बाबा जी का जीवन हमें सिखाता है कि धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलकर हम समाज और मानवता के कल्याण में योगदान कर सकते हैं।”








