Re. No. MP-47–0010301

एमपी में चार साल में 75 कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई, 62 मामलों में जांच अधूरी

एमपी में चार साल में 75 कर्मचारियों पर हुई कार्रवाई, 62 मामलों में जांच अधूरी

भोपाल- मध्य प्रदेश में पिछले चार साल में लोकायुक्त के छापे में 75 कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है. इनमें चौंकाने वाली बात यह है कि सबसे ज्यादा सहकारिता विभाग के कर्मचारी-अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है. हालांकि करीबन 62 मामलों की अभी तक विवेचना ही पूरी नहीं हो सकी है. 6 मामलों में जांच पूरी होने के बाद सरकार से अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है. वहीं तीन मामलों में खात्मा लगा दिया गया. कांग्रेस विधायक के सवाल के जवाब में सरकार ने विधानसभा में यह जानकारी दी है. उधर राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अभियोजना स्वीकृति के लिए समिति गठित कर दी है.

चार साल बाद भी जांच अधूरी

कांग्रेस विधायक दिलीप सिंह परिहार ने विधानसभा में सरकार ने सवाल पूछा था कि 1 जनवरी 2019 से लेकर अभी तक लोकायुक्त के छापों में किस श्रेणी के कर्मचारी-अधिकारियों पर कार्रवाई की गई और कितने प्रकरण विचाराधीन हैं और कितने प्रकरणों में कोर्ट में डायरी सौंप दी गई है. लिखित जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि पिछले चार सालों में 75 कर्मचारी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई. इसमें से सबसे ज्यादा कार्रवाई सहकारिता विभाग के तृतीय श्रेणी कर्मचारियों पर की गई है.इनमें भी इंदौर जिले के कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा कार्रवाई हुई है. हालांकि इसमें चौंकाने वाला तथ्य यह है कि कुल कार्रवाई में से 62 मामलों में अभी तक लोकायुक्त की जांच ही पूरी नहीं हो सकी है. 1 मामले में चालानी कार्रवाई की जा रही है, जबकि 4 प्रकरणों में कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है. इन प्रकरणों में कोर्ट में अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.

अभियोजन के लिए कमेटी गठित

उधर लोकायुक्त के कई मामलों में अभियोजना स्वीकृति के प्रकरण शासन स्तर पर लंबित हैं. इसको लेकर विधानसभा में पहले भी सवाल उठ चुके हैं. इसको देखते हुए राज्य शासन ने 6 सदस्यीय समिति गठित कर दी है. इस समिति के अध्यक्ष खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव होंगे. उनके अलावा उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेन्द्र शुक्ला, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, पीएचई मंत्री संपत्तिया उईके को सदस्य बनाया गया है.
यह समिति लोकायुक्त, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ और अन्य जांच एजेंसियों में पंजीबद्ध प्रकरणों में आरोपी अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध अभियोजना स्वीकृति के मामलों पर विचार करेंगे. ऐसे प्रकरणों में विधि विभाग और प्रशासकीय विभाग द्वारा दी गई ओपिनियन में अंतर है. समिति में मुख्य सचिव सचिव होंगे व सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव समन्वयक होंगे.

Leave a Comment

You May Like This

error: Content is protected !!