मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों का विरोध, 1 से 8वीं तक की कक्षाएं बंद
मध्यप्रदेश में गुरुवार को एमपी बोर्ड के 1 से 8वीं तक के सभी प्राइवेट स्कूल बंद हैं। इस बंद का आह्वान एमपी बोर्ड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने किया है। एसोसिएशन ने यह निर्णय मान्यता के नियमों में रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की अनिवार्यता के विरोध में लिया है। प्रदेशभर के 34 हजार स्कूलों ने इस बंद में शामिल होने का ऐलान किया है।
विरोध के प्रमुख कारण
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि सरकार द्वारा 8वीं तक की स्कूलों की मान्यता के लिए रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट की शर्त लागू करना व्यावहारिक नहीं है।
- अधिकांश स्कूल किराए की इमारतों में संचालित होते हैं।
- तीन या पांच साल के रजिस्टर्ड किराया नामे में तकनीकी समस्याएं आ रही हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों, कृषि भूमि और दान की जमीन पर चलने वाले स्कूलों के लिए रजिस्टर्ड एग्रीमेंट लागू करना कठिन है।
एसोसिएशन के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल सोनी ने कहा कि हम किसी कानून या सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह शर्त व्यावहारिक नहीं है।
स्कूल संचालकों का प्रदर्शन
प्रदेश के स्कूल संचालक गांधी प्रतिमाओं के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इंदौर के 3000 और उज्जैन के 450 स्कूल इस बंद में शामिल हैं। बंद के दौरान एसोसिएशन के सदस्य ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों को प्रमुखता से उठा रहे हैं।
एसोसिएशन की प्रमुख मांगे
- 8वीं तक की स्कूलों की मान्यता के लिए रजिस्टर्ड किरायानामे की शर्त खत्म की जाए।
- पहले की तरह नोटरी किरायानामा लागू किया जाए।
- मान्यता के लिए 40 हजार रुपये का सुरक्षा निधि जमा करने की शर्त हटाई जाए।
- शिक्षा का अधिकार (RTE) की राशि समय पर दी जाए।
- मान्यता शुल्क में की गई वृद्धि समाप्त की जाए।
सरकार से समाधान की अपील
एसोसिएशन ने कहा कि 31 जनवरी को मान्यता की अंतिम तारीख है। इसलिए सरकार इस मुद्दे पर शीघ्र निर्णय ले। जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
स्थिति पर असमंजस
प्राइवेट स्कूलों के इस विरोध के चलते हजारों बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यदि सरकार समय पर निर्णय नहीं लेती है, तो आने वाले दिनों में यह विरोध और बढ़ सकता है।








