सीधी में वन विभाग की लापरवाही से फिर गई एक मगरमच्छ की जान, अवैध मछली शिकार का खुला खेल
सूत्रों के अनुसार बम ब्लास्टिंग से हुई मगरमच्छ की मौत, विभागीय कर्मचारियों पर मिलीभगत और हादसे को छुपाने के आरोप
सीधी (मध्य प्रदेश)। जिले के सोन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र अंतर्गत नकदर कला में सोन नदी के किनारे तीन से चार फीट के आसपास का एक मरा हुआ मगरमच्छ नदी में पाया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मछली पकड़ने के दौरान ब्लास्टिंग की घटना में मगरमच्छ की मौत हुई है।
सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग के कुछ कर्मचारियों ने मामले को छुपाने का प्रयास किया। मृत मगरमच्छ को दबाने और जलाने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन मीडिया के हस्तक्षेप के बाद विभाग को अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना पड़ा और पीएम (पोस्टमार्टम) कराने की व्यवस्था की जा रही है।
मछली पकड़ने में विभाग की मिलीभगत
विशेष सूत्रों के अनुसार, सोन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र में मछली मारने का अवैध कार्य विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा था। विभाग के कर्मचारी मछली मारने वालों के साथ हिस्सेदारी तय करते थे। रात में मछली पकड़ने के बाद यदि अच्छा जाल लगता था तो मछलियों को ₹200 प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता था, जिसमें विभाग के कर्मचारियों का आधा हिस्सा तय था।
व्यापारियों द्वारा विभागीय कर्मचारियों को उनका हिस्सा उनके कमरों तक पहुंचा दिया जाता था। इस पूरे काले धंधे के चलते मछली मारने वाले व्यापारी नदी में बम ब्लास्टिंग करते थे, जिससे मछलियां जल्दी मर जाएं। इसी ब्लास्टिंग की चपेट में आकर तीन से चार फीट का मगरमच्छ भी मारा गया।
लगातार हो रहे हैं हादसे, विभाग की लापरवाही उजागर
यह कोई पहली घटना नहीं है। इस प्रकार की घटनाओं में पहले भी कई मगरमच्छों की जान जा चुकी है। वन विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
अब देखना यह है कि क्या इस बार वरिष्ठ अधिकारी मामले को गंभीरता से लेते हैं या फिर इसी तरह विभाग में कमीशन का खेल चलता रहेगा और बेजुबान जानवरों की जान जाती रहेगी।








