सीधी में रेत माफिया का आतंक: सोन नदी के घाटों पर जारी अवैध खनन, प्रशासन की खामोशी पर उठे सवाल
सीधी।
जिले में रेत माफिया का दुस्साहस दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ताज़ा मामला सोन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र का है, जहाँ रेत माफियाओं ने अधीक्षक के वाहन पर पत्थर बरसाए और दो कर्मचारियों को घायल कर दिया। इस घटना ने पूरे जिले में प्रशासन और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना 22अक्टूबर की रात की बताई जा रही है। सोन घड़ियाल अभयारण्य के अधीक्षक प्रभात सिंह अपनी टीम के साथ सोन नदी के किनारे अवैध रेत खनन की सूचना पर मौके पर पहुँचे थे। वहां मौजूद माफियाओं ने उन्हें देखकर गाली-गलौज शुरू कर दी और अचानक पथराव कर दिया। इस दौरान अधीक्षक की बोलेरो वाहन के शीशे टूट गए, जबकि दो कर्मचारी घायल हो गए। किसी तरह वनकर्मी जान बचाकर मौके से निकले।
पुलिस का दावा — क्षेत्र में रेत चोरी नहीं, पर हकीकत कुछ और
हालांकि पुलिस प्रशासन लगातार दावा करता रहा है कि जिले में अवैध रेत खनन नहीं हो रहा, लेकिन घटनाएँ कुछ और ही कहानी कहती हैं। सोन नदी के विभिन्न घाटों में रात के अंधेरे में ट्रैक्टरों और पिकअप वाहनों से रेत की निकासी खुलेआम जारी है।
ग्रामीणों के मुताबिक, रोज़ाना सैकड़ों ट्रैक्टर सोन नदी से रेत भरकर बाहर ले जाते हैं, परंतु पुलिस की गश्त वहाँ नदारद रहती है।
‘मौन मंजूरी’ पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की यह चुप्पी दरअसल रेत माफियाओं के लिए ‘मौन मंजूरी’ का संकेत है। पुलिस और खनिज विभाग की निष्क्रियता के चलते माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि अब वे सरकारी अधिकारियों पर भी जानलेवा हमला करने से नहीं चूक रहे।
सोन घड़ियाल क्षेत्र में हुई इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि बिना राजनीतिक और तंत्र की छत्रछाया के इतने बड़े पैमाने पर खनन संभव ही नहीं है।
शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं
जानकारी के अनुसार, बीते छह महीनों में सोन नदी क्षेत्र से अवैध खनन की एक दर्जन से अधिक शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। कई स्थानों पर ग्रामीणों ने वीडियो बनाकर भी अवैध परिवहन के प्रमाण दिए, परंतु कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई।
अधिकारियों की नाराजगी
वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि यदि पुलिस और प्रशासन समय पर समन्वय करें तो ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकती हैं। अधीक्षक प्रभात सिंह ने कहा कि “हमने बार-बार सोन नदी के घाटों पर पुलिस बल की मांग की, लेकिन हर बार सिर्फ मौखिक आश्वासन मिला। जब हम कार्रवाई करने जाते हैं, तो माफिया हम पर ही हमला कर देते हैं।”
जिले में रेत का काला कारोबार
सोन नदी के घाटों से निकलने वाली रेत सीधी जिले से सिंगरौली, रीवा और प्रयागराज तक भेजी जाती है। रात में दर्जनों ट्रैक्टर, हाइवा और डंपर बिना रोक-टोक निकलते हैं। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, एक ट्रैक्टर रेत से 4 से 5 हजार रुपये तक की अवैध वसूली होती है। यही पैसा आगे “सिस्टम” तक पहुँचता है, जो माफियाओं के हौसले को और बढ़ाता है।
जनता में आक्रोश
इस घटना के बाद लोगों में आक्रोश है। नागरिकों ने मांग की है कि जिला प्रशासन तत्काल अवैध खनन पर रोक लगाए और सोन घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करे।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की, तो वे स्वयं सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे।
सीधी जिले में रेत का यह काला कारोबार अब केवल आर्थिक अपराध नहीं रहा — यह शासन-प्रशासन की नाकामी और तंत्र की खामोशी का प्रतीक बन गया है।








