मृतक महिला से करा दी गई मनरेगा में मजदूरी, दो साल पहले हो चुकी है मौत, मस्टर रोल में किया काम
सीधी- जिले भर के ग्राम पंचायतों में मनमानी और फर्जी भुगतान कर सरकारी राशि के हेरफेर का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कही बिना कार्य के फर्जी वेंडरो को भुगतान हो रहा है तो कही मशीनों से कार्य करवा कर फर्जी मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार केवल कार्यवाही का आश्वासन देकर मूकदर्शक बने हुए है। इसी तरह का एक ताजा मामला प्रकाश में आया है जहां सिहावल जनपद अनतर्गत एक ग्राम पंचायत में दो वर्ष पूर्व मृतक महिला का नाम मजदूरी में आया है और बकायदा उसे मजदूरी का भुगतान भी किया गया है।
दरअसल सिहावल जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत गेरुआ ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत मृतकों से भी पंचायत में मजदूरी करा दी गई है यहाँ मस्टर रोल से यह जानकारी सामने आई है कि महिला मुन्नी देवी पति जग्गी लाल सिंह के द्वारा 13 अप्रैल 2023 से 19 अप्रैल 2023 तक एवं 4 मई 2023 से 10 मई 2023 तक मनरेगा में मजदूरी का कार्य किया गया है। ताज्जुब की बाद यह है कि उक्त महिला की मृत्यु 20 नवंबर 2021 को हो गई थी और उसका मृत्यु प्रमाण पत्र तत्कालीन सरपंच सचिव के द्वारा 3 दिसंबर 2021 को जारी किया गया था। इसके बावजूद भी पंचायत कर्मियों ने मनमानी तरीके से मृतक महिला को 12 दिनों से अधिक तक मजदूरी कर दी है बल्कि मजदूरी भुगतान भी उसके बैंक खाते में पंचायत कर्मियों ने कर दिया है। मामले का खुलासा होने के बाद अब पंचायत कर्मी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाकर पल्ला झाड़ रहे हैं वहीं जनपद सीईओ मामले में सब कुछ जान कर भी अनजान बने हुए हैं। यही वजह है दोषी पंचायत कर्मियों के खिलाफ अब तक जांच और कार्यवाही नहीं होने से इनका हौसला बुलंद होता जा रहा है, वही इस पूरे मामले में सीधी कलेक्टर साकेत मालवी का मानना है कि मामला तो मेरे संज्ञान में है। शिकायत मिलने पर मामले में दोषी के खिलाफ जांच और कार्यवाही कराई जाएगी साथ ही कलेक्टर यह स्वीकार रहे हैं कि आज के युग में सब कुछ डिजिटल है मृतक से मजदूरी करना संभव नहीं है फिर भी मीडिया में मामला आने के बाद जांच और कार्यवाही का भरोसा दे रहें है।
पंचायतों में मशीनों से कार्य के बाद होता है फर्जी भुगतान
गौर करने वाली बात यह है कि जिले भर से पंचायतों में ऐसे प्रकरण प्रकाश में आते हैं। जहां पंचायतों में मशीनों से काम कराएं जाते हैं और फिर भुगतान के लिए ग्रामीणों के खाते में पैसे डालकर उसे निकलवा लिया जाता है। इस परम्परा से सभी वाकिफ है और कई बार ऐसे मामले काफी चर्चा में भी आते है पर प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक सरंक्षण के चलते आरोपी बच निकलते हैं। इसी कारण से उनके हौसले बुलंद है। पंचायतों में फर्जी वेंडरो की भी भरमार है यहाँ कागजों में खुली फर्जी चिन्हित दुकानों में पंचायतों के खाते की राशि डालकर उसका बंदरबांट किया जाता है। इसी प्रक्रिया के तहत कई बार कई जगहों पर बिना कार्य के भी राशि कि हेरफेर की जाती है।








