Sidhi24news ;वनांचल के बीच टपरी में सीधी की पहचान,जिले से प्रदेश की राजधानी तक प्रसिद्ध है चौफाल का पेड़ा
सीधी- सीधी जिले के वनांचल क्षेत्र में छोटी बड़ी टपरी वाली दुकानों में सीधी की पहचान चौफाल का पेड़ा जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी और कई अन्य जगहों तक अपनी मिठास के दम पर अपनी जगह बनाए हुए हैं दूर-दराज से लोग चौफाल के पेडा का आनंद लेने आते हैं यहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति चौफाल के स्वादिष्ट पेड़ों का आनंद लिए बिना नहीं रह पाते हैं आईए जानते हैं चौफाल के पेड़ों के बारे में कुछ बातें।
सीधी जिले से करीब 20 किलोमीटर दूर दक्षिण की ओर चौफाल पवाई नामक गांव में एक छोटा सा स्टेशन कहें या बाजार पड़ता है जहां छोटी-छोटी कई टपरिया है और इन्हीं टपरियों में मिलता है प्रसिद्ध चौफाल का पेड़ा जिसे वहां आसपास के ग्रामीण लोगों से दूध इकट्ठा कर लकड़ी की भट्ठियों के ऊपर काफी देर तक पकाने के बाद बनाया जाता है। खास बात यह है कि इस पेड़े में शक्कर का उपयोग करीब न के बराबर किया जाता है। दूध को लंबे समय तक पकाते हुए इसका खोवा बनाया जाता है और इसी खोवे से प्रसिद्ध चौफाल का पेड़ा बनाया जाता है।
करीब पचास साल से अधिक समय से यहाँ बनता आ रहा है पेड़ा
चौफाल के पेड़े के बारे में जानकार और यहां के दुकानदार बताते हैं कि करीब 50 वर्षों से अधिक समय से इस स्थान पर पेड़ा बन रहा है और लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है चौफाल पवई नामक गांव में बनने वाला यह पेड़ा धीरे-धीरे इतना प्रसिद्ध हुआ कि इसकी देखा देखी कई अन्य जगहों पर भी इसे बनाए जाने लगा लेकिन चौफाल तो फिर चौफाल है यहां के पेड़े का मुकाबला शायद ही कोई कर पाया…?धीरे-धीरे समय बिता और पेड़ा बनाने वाले भी बदले लेकिन पेड़े की प्रसिद्ध आज भी बनी हुई है। अब तो यहां पर कई सारी दुकाने हो गई है जिनमें पेड़ा मिलता है जबकि पहले केवल एक ही दुकान हुआ करती थी और बाजार भी केवल नाम मात्र का था लेकिन विकास के दौर पर यह एक विकसित स्थान बन गया है यहां पर बैंक की शाखा और स्वास्थ्य केंद्र सहित कई अन्य सुविधाएं विकसित हो गई है साथ ही पेड़े की बिक्री भी बढ़ गई है यहां पहुंचने वाले लोग बताते हैं कि मिट्टी की भट्टी पर लकडियों की आच के ऊपर खौलते दूध से पेड़ा बनाया जाता है यह काफी शुद्ध और स्वादिष्ट होता है।








