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वनकर्मी शिवराज सिंह और उनकी पत्नी की मौत मामले में 5 वनकर्मियों पर मामला दर्ज

आत्महत्या प्रेरणा: बर्खास्त वनकर्मी शिवराज सिंह और उनकी पत्नी की मौत मामले में 5 वनकर्मियों पर मामला दर्ज

सीधी। कोतवाली थाना क्षेत्र के पिपरहर निवासी बर्खास्त वनकर्मी शिवराज सिंह चौहान और उनकी पत्नी की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने पांच वनकर्मियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का अपराध दर्ज किया है। यह कार्रवाई मृतक द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट की विवेचना के बाद की गई।

क्या है पूरा मामला?

दैनिक वेतन भोगी कुशल श्रमिक शिवराज सिंह चौहान को फरवरी 2024 में वन विभाग द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया गया था। इस बर्खास्तगी और विभागीय कार्रवाई से आहत होकर शिवराज और उनकी पत्नी ने 9 फरवरी 2024 को अपने आवास पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

मृतक ने अपने सुसाइड नोट में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने लिखा था कि विभागीय कार्रवाई और आरोपों ने उनकी जिंदगी को बर्बाद कर दिया, जिससे वह और उनकी पत्नी जीने की इच्छाशक्ति खो बैठे।

पांच वनकर्मियों पर मामला दर्ज

पुलिस ने सुसाइड नोट और मामले की जांच के आधार पर पांच वनकर्मियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए प्रेरित करना) और धारा 34 के तहत अपराध दर्ज किया है। इनमें वनकर्मी रजनी गुप्ता का नाम प्रमुख रूप से सामने आया है। अन्य चार आरोपितों के नामों का खुलासा पुलिस ने अभी नहीं किया है।

जांच का आधार बना सुसाइड नोट

शिवराज सिंह द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट ने पूरे मामले की दिशा तय की। इसमें उन्होंने लिखा कि कैसे विभागीय कार्रवाई और वनकर्मियों का दबाव उनके जीवन पर भारी पड़ रहा था। नोट में उन्होंने साफ तौर पर लिखा था, “हमने ईमानदारी से काम किया, लेकिन झूठे आरोपों और अपमान ने हमें आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया।”

पुलिस और प्रशासन का रुख

सीधी पुलिस ने मामले की जांच को प्राथमिकता देते हुए आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा, “मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है। यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

वन विभाग पर उठे सवाल

यह घटना वन विभाग के कामकाज और अधिकारियों के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े करती है। मृतक शिवराज सिंह की मौत ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या विभागीय कार्रवाई पारदर्शी और न्यायपूर्ण थी?

मामले पर नजर

अब सभी की निगाहें इस मामले की जांच और पुलिस की कार्रवाई पर टिकी हैं। दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। इस दुखद घटना ने समाज और प्रशासन दोनों को झकझोर कर रख दिया है।

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