सीधी जिले में अदृश्य दुकानें, अद्भुत कारोबार!
– कागज़ों की दुनिया में मालामाल हुए व्यापारी, असली दुकानदार ढूंढते रह गए पता
सीधी
सीधी जिले में व्यापार का एक नया मॉडल सामने आया है, जिसे MBA के किसी कोर्स में नहीं पढ़ाया जाता – “कागज़ी दुकान मॉडल”! न दुकान, न सामान, न ग्राहक – फिर भी हर महीने लाखों का टर्नओवर! इस अनोखे व्यापार में व्यापारी दिखाई नहीं देते, दुकानें केवल फाइलों में रहती हैं, और लाभ सीधा सरकारी खाते से निजी जेब में जाता है।
दुकानें जिनका पता गूगल भी नहीं जानता
ऐसी दुकानें हर गली-मोहल्ले, पंचायत और विकासखंड में दर्ज हैं। लेकिन मजे की बात ये है कि न इनका बोर्ड है, न इनका गोदाम। पूछो तो जवाब मिलता है – “भाई साहब, ये वर्चुअल दुकानें हैं, डिजिटल इंडिया का सपना पूरा कर रही हैं!”
बिल बनाओ, बाउचर भरो, पैसा समेटो
व्यापार का सिस्टम इतना आसान है कि MBA की जरूरत ही नहीं। फॉर्मूला है – “बिल बनाओ, बाउचर भरो, और सरकारी खजाने से पैसा समेटो!” सामान चाहे आए या न आए, पेमेंट टाइम पर होता है, और अगर बिल में चार पंखे दिखाए हैं तो दो हवा में और दो हवा-हवाई में चले जाते हैं।
अधिकारी भी हैरान – “हमने तो सिर्फ कागज़ देखे”
जब इस मुद्दे पर कुछ अधिकारियों से सवाल किया गया, तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से कहा, “हमें क्या पता दुकान असली है या नकली, हमें तो सिर्फ पेपरवर्क देखना होता है।” ये वही पेपरवर्क है जिसे देखकर कागज़ी दुकानदार असली दुकानदारों से ज़्यादा आमदनी कर रहे हैं।
जनता की अपील – हमें भी खोलनी है ऐसी दुकान!
अब आम जनता की भी मांग है कि उन्हें भी ऐसे व्यापार में मौका दिया जाए। कुछ बेरोजगार युवाओं ने तो बाकायदा आवेदन तैयार कर लिया है – “हमें भी दें फर्जी दुकान का लाइसेंस, हम भी करना चाहते हैं कागज़ी करोड़पति बनने का सपना पूरा!”








