अब पटवारी नहीं होंगे अपने होम टाउन में पदस्थ, राजस्व विभाग ने जारी की नई तबादला नीति
भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने पटवारियों के तबादले को लेकर एक अलग और स्पष्ट नीति जारी की है, जिसमें सबसे अहम बात यह है कि अब किसी भी पटवारी को उसके गृह तहसील में पदस्थ नहीं किया जाएगा। यह नीति पटवारी को जिला स्तरीय संवर्ग का पद मानते हुए लागू की गई है और इसका उद्देश्य स्थानांतरण प्रणाली को पारदर्शी एवं न्यायसंगत बनाना है।
नई तबादला नीति की प्रमुख बातें:
- होम टाउन में पदस्थापना नहीं: किसी भी पटवारी को उसकी गृह तहसील में पदस्थ नहीं किया जाएगा। जिला कलेक्टर द्वारा जिले के अंदर पदस्थापना की जाएगी, लेकिन गृह क्षेत्र को छोड़कर।
- पुराने और नए पटवारियों के लिए नियम अलग: 16 फरवरी 2024 को पटवारी परीक्षा के परिणाम के पहले नियुक्त पटवारियों को ही दूसरे जिले में संविलियन का अधिकार मिलेगा। नई नियुक्त पटवारियों को विशेष परिस्थितियों में ही स्थानांतरण की अनुमति मिलेगी।
- विशेष परिस्थिति में तबादले की अनुमति:
- दंपती में दोनों सरकारी कर्मचारी हों तो एक जिले में पदस्थापन का विकल्प।
- विवाहिता, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता महिला अथवा गंभीर बीमारियों (कैंसर, डायलिसिस, हार्ट सर्जरी) से ग्रसित पटवारी।
- आपसी सहमति पर तबादला, बशर्ते दोनों की श्रेणी और उपश्रेणी समान हो।
- ऑनलाइन प्रक्रिया: तबादले के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से भू-अभिलेख आयुक्त कार्यालय को करना होगा।
- ऑफलाइन आवेदन या दस्तावेज स्वीकार नहीं होंगे।
- आवेदकों को अपनी श्रेणी (SC/ST/OBC/EWS/UR) व उपश्रेणी (महिला, दिव्यांग, भूतपूर्व सैनिक आदि) का विवरण देना अनिवार्य होगा।
- जिला कलेक्टर आवेदन की जानकारी का सत्यापन ऑनलाइन माध्यम से करेंगे।
- रिक्त पद व आरक्षण रोस्टर के अनुसार स्थानांतरण: जिस जिले में संविलियन चाहा गया है, वहां यदि संबंधित वर्ग का पद रिक्त होगा तभी तबादला संभव होगा। आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन अनिवार्य होगा।
- नए जिले में पूरी करनी होगी परिवीक्षा: जिन पटवारियों का अन्य जिले में स्थानांतरण होगा, उनकी परिवीक्षा अवधि नए जिले में ही पूरी की जाएगी और विभागीय शर्तों का पालन भी वहीं करना होगा।
- वरिष्ठता की गणना: प्रशासनिक कारणों से किए गए स्थानांतरण में पटवारी की वरिष्ठता की गणना उसकी मूल नियुक्ति तिथि से ही की जाएगी।
- संविलियन आदेश अंतिम होंगे: एक बार संविलियन आदेश जारी हो जाने पर उसमें किसी प्रकार का संशोधन नहीं होगा और जिला परिवर्तन का फिर से अधिकार नहीं रहेगा।
राजस्व विभाग की इस नई नीति से राज्य में तबादलों में पारदर्शिता और योग्यता आधारित पदस्थापन सुनिश्चित होने की उम्मीद की जा रही है।








