“मुआवजा तय, निर्माण तय — ग्वालियर से आगरा अब घंटों नहीं, मिनटों की दूरी पर!”
सिक्सलेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण अंतिम दौर में, नवंबर से शुरू होगा काम
100 गांवों में भूमि अधिग्रहण अंतिम चरण में, 4,263 करोड़ की लागत से बनेगा ग्रीनफील्ड हाईवे
ग्वालियर।
ग्वालियर से आगरा के बीच प्रस्तावित 88.4 किलोमीटर लंबे ग्रीनफील्ड सिक्सलेन एक्सप्रेस-वे के निर्माण का रास्ता अब लगभग साफ हो गया है। 220 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत होने के साथ ही भूमि अधिग्रहण के लिए किसानों को मुआवजा वितरण की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। लगभग 4,263 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के लिए जीआर इंफ्रा को निर्माण कार्य का ठेका दिया जा चुका है और नवंबर 2025 से निर्माण कार्य आरंभ होगा।
अधिग्रहण के दायरे में 100 गांव
इस बहुप्रतीक्षित परियोजना के लिए तीन राज्यों के 100 गांवों की भूमि अधिग्रहित की जा रही है:
- उत्तर प्रदेश (आगरा) के 14 गांव
- राजस्थान (धौलपुर) के 30 गांव
- मध्यप्रदेश (मुरैना व ग्वालियर) के शेष 56 गांव
हालांकि कुछ किसानों ने मुआवजा वितरण को लेकर आपत्तियां दर्ज कराई हैं, लेकिन एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि सभी आपत्तियों का समय पर समाधान किया जाएगा।
निर्माण के लिए सभी मंजूरियां पूरी
इस परियोजना के लिए रेलवे, पर्यावरण, वन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व राजस्व विभाग से सभी आवश्यक स्वीकृतियां पहले ही प्राप्त हो चुकी हैं। अब केवल निजी भूमि का अधिग्रहण बाकी है, जिसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
कंपनी को मिली दोहरी जिम्मेदारी
एक्सप्रेस-वे निर्माण के साथ-साथ मौजूदा ग्वालियर-आगरा फोरलेन हाईवे की मरम्मत भी इसी कंपनी द्वारा की जाएगी। मरम्मत का काम नवंबर 2026 तक पूरा करना अनिवार्य होगा, ताकि क्षेत्रीय यातायात को बेहतर विकल्प मिल सके।
क्या बदलेगा इस परियोजना से?
- ग्वालियर से आगरा की सीधी और तेज कनेक्टिविटी
- स्थानीय ट्रैफिक को फोरलेन हाईवे पर किया जाएगा डायवर्ट
- मुरैना और धौलपुर जाने वाले वाहन पुराने रूट पर
- यात्रा समय और ईंधन दोनों में बचत
- दिल्ली-एनसीआर से मध्यप्रदेश की दूरी होगी कम
अधिकारी का बयान
प्रशांत मीणा, मैनेजर, एनएचएआई ने कहा, “ग्वालियर-आगरा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अंतिम चरण में है। मुआवजा वितरण की तैयारियां पूरी हैं और जल्द ही किसानों को राशि प्रदान की जाएगी।”
यह एक्सप्रेस-वे न केवल दो प्रमुख शहरों को जोड़ेगा, बल्कि तीन राज्यों को आर्थिक रूप से भी एक नए विकास पथ पर ले जाएगा।








