बड़ा फर्जीवाड़ा: CMO ने SDM के फर्जी हस्ताक्षर से निकाले 3.80 लाख रुपये, ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला
रीवा (मध्यप्रदेश)।
रीवा जिले के बंधवा क्षेत्र में शासकीय धन के गबन का एक बड़ा मामला सामने आया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में यह खुलासा हुआ है कि नगर परिषद मैहर के तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी (CMO) हरिमित्र श्रीवास्तव ने फर्जीवाड़ा करते हुए सातवें वेतनमान के एरियर की राशि हड़प ली। CMO ने SDM के फर्जी हस्ताक्षर कर 3 लाख 80 हजार रुपए का भुगतान वाउचर तैयार कराया और राशि प्राप्त कर ली।
फर्जी वाउचर के जरिए निकाली गई राशि
जानकारी के अनुसार, सातवें वेतनमान के एरियर भुगतान हेतु जारी पत्रक के आधार पर नगर पंचायत के CMO ने फर्जीवाड़े की योजना बनाई। इस योजना के अंतर्गत उन्होंने एरियर पत्रक के परिप्रेक्ष्य में भुगतान वाउचर तैयार कराए, जिनमें SDM (प्रशासक) के जाली हस्ताक्षर किए गए थे। इन हस्ताक्षरों के आधार पर संबंधित राशि का भुगतान करवा लिया गया।
दोबारा एरियर निकालने की भी थी कोशिश
हैरानी की बात यह है कि इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के महज 25 दिन बाद, CMO हरिमित्र श्रीवास्तव ने एक बार फिर नया एरियर पत्रक तैयार कर वही राशि दोबारा निकालने की कोशिश की। इस मामले की जानकारी लगने पर ईओडब्ल्यू ने प्राथमिक जांच शुरू की, जिसमें फर्जीवाड़ा सामने आया।
ईओडब्ल्यू ने CMO के खिलाफ दर्ज किया मामला
ईओडब्ल्यू के एसपी डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि नगर परिषद के तत्कालीन CMO हरिमित्र श्रीवास्तव ने शासकीय खजाने को चूना लगाने के लिए SDM के फर्जी हस्ताक्षरों का इस्तेमाल किया और एरियर राशि प्राप्त की। उन्होंने आशंका भी व्यक्त की कि आरोपी ने एडवांस सैलरी के रूप में भी शासकीय राशि हड़पने का प्रयास किया होगा। यह पहलू भी जांच के दौरान विवेचना में सामने आएगा।
वर्तमान में आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, शासकीय दस्तावेजों की कूट रचना सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
ईओडब्ल्यू अब इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या यह मामला अकेले CMO द्वारा अंजाम दिया गया, या इसमें अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी थी।
आगे क्या?
सरकारी खजाने से फर्जी तरीके से धन की निकासी का यह मामला गंभीर चिंता का विषय है। ईओडब्ल्यू की विस्तृत जांच के बाद और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। अगर अन्य फर्जीवाड़ों के सबूत सामने आते हैं, तो आरोपी पर और धाराएँ बढ़ाई जा सकती हैं।








