रेत खदान में प्रशासन का छापा: सिंगरौली की लीज पर सीधी में हो रहा था उत्खनन, खनिज विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
सीधी, 1 जून 2025 |
सीधी जिले में रेत के अवैध कारोबार को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सिंगरौली की लीज पर संचालित रेत खदान से रेत निकालकर सीधी की सीमा में मनमाने ढंग से उत्खनन किया जा रहा था। यह सब कुछ प्रशासन और खनिज विभाग की नाक के नीचे हो रहा था। रविवार को प्रशासनिक अमले ने जब कुसमी तहसील क्षेत्र के गोपत नदी में दबिश दी, तो एक बार फिर रेत कारोबारियों की मनमानी और व्यवस्था की लापरवाही सामने आ गई।
सूत्रों के अनुसार, सहकार ग्लोबल कंपनी को सिंगरौली जिले की हर्दी रेत खदान की लीज प्राप्त है, लेकिन उसका संचालन सीधी जिले के गोतरा क्षेत्र में भी किया जा रहा था, जो पूर्णतः अवैध है। रेत खदानों की नीलामी सीधी में हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी भी खदान को संचालन की अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में रेत माफिया इस शून्य का फायदा उठा रहे हैं, और सिंगरौली की लीज दिखाकर सीधी की रेत चोरी की जा रही है।
प्रशासनिक कार्रवाई या औपचारिकता?

रविवार को एसडीएम आर. पी. त्रिपाठी, तहसीलदार एकता शुक्ला और नायब तहसीलदार नारायण सिंह, सिंगरौली के अधिकारियों और खनिज विभाग की टीम के साथ मौके पर पहुंचे और नापजोख कराई। कुछ पोकलेन मशीनें और अवैध वाहन जप्त भी किए गए हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ एक दिन की दिखावटी कवायद है या वास्तव में प्रशासन रेत माफिया पर नकेल कसने को तैयार है?
पिछले कई महीनों से सीधी जिले में रेत खदानें बंद हैं, जिससे आम लोगों को रेत महंगे दामों पर मिल रही है, जबकि अवैध कारोबारी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। प्रशासनिक अमला अब जागा है, लेकिन यह देर से उठाया गया कदम है। लोगों का यह भी कहना है कि अगर पहले ही निगरानी की जाती, तो रेत माफिया इस हद तक बेलगाम नहीं होते।
खनिज विभाग की भूमिका पर सवाल
इस पूरे प्रकरण में खनिज विभाग की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। जब रेत सीधी की सीमा से निकाली जा रही थी, तो स्थानीय स्तर पर निरीक्षण क्यों नहीं हुआ? क्या विभाग को इसकी जानकारी नहीं थी या जानबूझकर अनदेखी की जा रही थी?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस कार्यवाही को आगे तक ले जाता है या फिर यह कागजी खानापूर्ति बनकर रह जाएगी। फिलहाल आमजन और ईमानदार ठेकेदार यही उम्मीद कर रहे हैं कि अब सख्ती सिर्फ फोटो खिंचवाने तक सीमित न रह जाए, बल्कि जिम्मेदारों पर कानूनी शिकंजा कसा जाए और जिले में रेत व्यवस्था पारदर्शी बने।








