कुंदौर पंचायत में भ्रष्टाचार का खुला खेल: पहले लाखों का भुगतान, बाद में ली गई बैठक की ‘अनुशंसा’
✍️ | कुसमी ब्यूरो
सीधी, कुसमी — जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत कुंदौर में पंचायती भ्रष्टाचार का एक बड़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। पंचायत में बैठे जिम्मेदार पदाधिकारियों — सरपंच, सचिव एवं विभागीय तंत्र की मिलीभगत से लाखों रुपये का भुगतान पहले ही कर दिया गया, जबकि खरीदी की अनुशंसा के लिए पंचायत बैठक बाद में आयोजित की गई। इस मामले ने ग्राम पंचायत की कार्यप्रणाली और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भुगतान की पूरी कहानी
सूत्रों एवं दस्तावेजों के अनुसार, पंचायत सचिव द्वारा दिनांक 10 मार्च 2025 को Sharma Traders नामक फर्म को ₹6,82,860 रुपये का भुगतान किया गया। यह भुगतान कुल 7 अलग-अलग बिलों के तहत हुआ, जिनकी जानकारी इस प्रकार है:
- बिल क्रमांक 332 – ₹98,400
- बिल क्रमांक 333 – ₹96,000
- बिल क्रमांक 334 – ₹96,000
- बिल क्रमांक 335 – ₹99,660
- बिल क्रमांक 336 – ₹99,000
- बिल क्रमांक 337 – ₹97,800
- बिल क्रमांक 338 – ₹96,000
इसके अतिरिक्त 10 अप्रैल 2025 को एक और बिल क्रमांक 238 के अंतर्गत ₹50,000 का भुगतान भी इसी फर्म को किया गया, जिससे कुल भुगतान की राशि ₹7,32,860 तक पहुँचती है।
बिना बैठक भुगतान — नियमों की अनदेखी
मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यय पंचायत की बैठक और प्रस्ताव की मंजूरी के बाद ही किया जाना चाहिए। लेकिन इस प्रकरण में पहले भुगतान कर दिया गया और बाद में 10 अप्रैल 2025 को बैठक आयोजित कर अनुशंसा ली गई, जैसा कि पंचायत की बैठक कार्यवाही रजिस्टर (दस्तावेज संलग्न) से स्पष्ट है।
नाम मात्र की बैठक, महज़ औपचारिकता
पंचायत की बैठक 10 अप्रैल को आयोजित की गई जिसमें उन्हीं बिलों का उल्लेख किया गया, जिनका भुगतान पहले ही एक माह पूर्व कर दिया गया था। यह बैठक महज़ दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी करने और नियमों को ढकने का माध्यम बन गई। दस्तावेज़ों में साफ देखा जा सकता है कि उसी दिन की बैठक में दिनांक 10.03.2025 के बिलों की पुष्टि की गई, जबकि वित्तीय नियमों के अनुसार यह प्रक्रिया पहले अनुमोदन, फिर भुगतान के सिद्धांत पर आधारित होनी चाहिए।
प्रशासन की चुप्पी — ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत द्वारा लाखों रुपये की सामग्री खरीदी और भुगतान बिना ज़रूरत और योजना के किया गया। दूसरी ओर गांव की बुनियादी जरूरतें जैसे पीने का पानी, सड़क, नाली जैसी समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं।
क्या होगा अब?
यह मामला महज़ वित्तीय गड़बड़ी नहीं, बल्कि प्रणालीगत भ्रष्टाचार और प्रशासनिक मिलीभगत का जीवंत उदाहरण बन गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि:
- क्या जनपद और जिला पंचायत द्वारा निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी?
- या यह मामला भी अन्य अनियमितताओं की तरह कागजों में दफन होकर रह जाएगा?
???? नोट: इस समाचार में प्रयुक्त बिल विवरण, तिथियाँ और राशि पंचायत दस्तावेजों एवं भुगतान रिकॉर्ड पर आधारित हैं। समाचार संकलन में संलग्न तीनों दस्तावेजों की पुष्टि की गई है।








