Re. No. MP-47–0010301

मांगों के निराकरण तक मनरेगा उपयंत्रियों का अनिश्चितकालीन कलमबंद आंदोलन शुरू

मांगों के निराकरण तक मनरेगा उपयंत्रियों का अनिश्चितकालीन कलमबंद आंदोलन शुरू

सीधी।
मनरेगा उपयंत्रियों की 8 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर में असंतोष उभर आया है। लगातार दस दिन तक सामूहिक अवकाश पर रहने के बाद अब उपयंत्रियों ने आंदोलन को और धार देते हुए अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी है। सोमवार को सीधी जिले के उपयंत्रियों ने इस संबंध में एसडीएम राकेश शुक्ला को ज्ञापन सौंपा।

वर्षों से चल रहा संघर्ष, नहीं मिला ठोस समाधान

मनरेगा अभियंता संघ ने ज्ञापन में कहा है कि उपयंत्री कई वर्षों से अपनी मांगों को शासन-प्रशासन के समक्ष रख रहे हैं। अलग-अलग मंचों, संगठनों और आंदोलनों के जरिए लगातार आवाज़ उठाई गई, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, ठोस समाधान नहीं।
संघ का कहना है कि अब धैर्य की सीमा टूट चुकी है, इसलिए जब तक मांगों का निराकरण नहीं होता, तब तक उपयंत्री कलमबंद आंदोलन पर रहेंगे।

आंदोलन से प्रभावित होंगे विकास कार्य

ज्ञापन में साफ लिखा गया है कि मनरेगा योजनाएं तकनीकी आधार पर चलती हैं और इसमें उपयंत्रियों की भूमिका अहम है। यदि लंबे समय तक आंदोलन जारी रहता है तो जिले और प्रदेश के निर्माण कार्य, विकास योजनाएं एवं मजदूरों को समय पर भुगतान जैसी प्रक्रिया प्रभावित होंगी।

ये हैं उपयंत्रियों की प्रमुख 8 मांगें

  1. संविदा पारिश्रमिक को नियुक्ति दिनांक से नियमित उपयंत्रियों के वेतनमान के समकक्ष किया जाए तथा वार्षिक वेतनवृद्धि भी दी जाए।
  2. उपयंत्री की मृत्यु पर आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति का लाभ मिले।
  3. किसी भी प्रकरण में उपयंत्रियों को पद से पृथक करने के स्थान पर निलंबन की व्यवस्था की जाए।
  4. आरईएस और मनरेगा उपयंत्रियों की संयुक्त वरिष्ठता सूची के आधार पर सहायक यंत्री का प्रभार दिया जाए।
  5. नियमित कर्मचारियों की तरह ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश तत्काल जारी किया जाए और इसका लाभ मृत एवं सेवानिवृत्त उपयंत्रियों को भी मिले।
  6. संविदा सेवा का नवीनीकरण 1 वर्ष की जगह 5 वर्ष की सीआर के आधार पर हो।
  7. उपयंत्रियों से केवल तकनीकी कार्य ही लिया जाए, लक्ष्य आधारित दबाव खत्म किया जाए।
  8. प्रत्येक माह की पहली तारीख को समय पर वेतन दिया जाए।

प्रशासन को दी चेतावनी

ज्ञापन में चेतावनी दी गई है कि यदि आंदोलन की अवधि में शासन-प्रशासन द्वारा दमनात्मक या दंडात्मक कार्यवाही की गई और उसके चलते किसी उपयंत्री या उनके परिवार को शारीरिक अथवा मानसिक क्षति होती है, तो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और शासन की होगी।

प्रदेशभर में 1335 उपयंत्री प्रभावित

मनरेगा अभियंता संघ के प्रांतीय अध्यक्ष के अनुसार, प्रदेशभर में करीब 1335 उपयंत्री अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। यदि सरकार ने जल्द सकारात्मक कदम नहीं उठाए तो यह आंदोलन प्रदेशव्यापी विकराल रूप ले सकता है।

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