मनरेगा अभियंता संघ ने सौंपा स्मरण पत्र, 8 सूत्रीय मांगों पर सरकार खामोश – अब उग्र आंदोलन की चेतावनी
सीधी।
प्रदेश के 1335 मनरेगा उपयंत्री (संविदा) पिछले 35 दिनों से अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। शुक्रवार को संघ ने कलेक्टर को स्मरण पत्र सौंपा, जो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटैल सहित प्रदेश के शीर्ष अधिकारियों को संबोधित है।
अभियंता संघ ने कहा कि वेतन विसंगति दूर करने, वरिष्ठता के आधार पर सहायक यंत्री का प्रभार, मृतक उपयंत्री के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति और लंबित वेतन जैसी बुनियादी मांगों पर सरकार केवल “आदेश जारी होंगे” जैसे वादे कर रही है। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक एक पन्ना भी जारी नहीं हुआ।
मंत्री ने दिए थे निर्देश, फाइलें आज भी मेज पर
अभियंताओं का कहना है कि पंचायत मंत्री खुद मीटिंग में समस्या सुन चुके हैं और अधिकारियों को निराकरण के निर्देश भी दे चुके हैं। लेकिन शायद “निर्देश” अब महज़ एक औपचारिकता बन चुके हैं। अधिकारी साहब आश्वासन पर आश्वासन दे रहे हैं और अभियंता साहब पिछले तीन महीनों से बिना वेतन गुज़ारा करने को मजबूर हैं।
8 सूत्रीय मांगें
- वेतन विसंगति का निराकरण।
- वरिष्ठता के आधार पर सहायक यंत्री का प्रभार।
- मृतक उपयंत्री के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति।
- संविदा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी।
- संविदा समाप्ति की जगह निलंबन की व्यवस्था।
- दुर्घटना बीमा।
- लंबित वेतन भुगतान।
- संविदा नीति 22 जुलाई 2023 का मनरेगा में क्रियान्वयन।
आंदोलन अब होगा और तेज
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि 5 दिनों में लिखित आदेश जारी नहीं होते तो प्रदेश भर के उपयंत्री सामूहिक त्यागपत्र देंगे, परिवार सहित विकास भवन भोपाल और जिला पंचायतों के सामने अनशन करेंगे तथा न्यायालय और मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाएँगे।
तंज़ – “कागज़ों पर सरकार, धरातल पर आंदोलन”
मनरेगा अभियंता संघ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि “प्रदेश में कागज़ों पर तो नीतियाँ लागू हो रही हैं, लेकिन धरातल पर अभियंता कलम बंद करने को मजबूर हैं। मंत्री के निर्देश हवा में उड़ रहे हैं और अधिकारी फाइलों को धूल फांकने दे रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो जल्द ही सरकार को उपयंत्रियों की खामोशी से ज़्यादा उनका शोर सुनाई देगा।”








